सूत्र 30 :
व्याधिस्त्यानसंशयप्रमादालस्याविरतिभ्रान्तिदर्शनालब्धभूमिकत्वानवस्थितत्वानि चित्तविक्षेपास्तेऽन्तरायाः॥
योग के पथ पर चलते हुए नौ तरह की बाधाएं, विक्षेप आ सकते हैं।
1.व्याधि
अर्थात शारीरिक बीमारी, यह योग के पथ में पहली बाधा है।
2.स्त्यान
अर्थात मानसिक बीमारी, मन से विक्षिप्त होना अथवा सुनने, समझने और मानने की क्षमता न होना स्त्यान है।
कई बार ऐसा होता है की साधारणतः आप सही रहते है पर जैसे ही आप किसी ध्यान शिविर में आते है तो आप बीमार हो जाते है, ऐसे ही कभी आप ध्यान करने बैठते हैं तब शरीर दुखने लगता है, बैचेनी होती है। सिनेमा देखने में ऐसा कतई नहीं होता। यह भी एक तरह की बाधा ही है।
	
		
				  	
	      योग सीखें और बीमारियों से रहें दूर	    
	    		
		
	
                    
                            
                             
                            
3. संशय
: अर्थात संदेह, मन में तीन तरह के संशय आ सकते है।
स्वयं पर संशय : अपने ऊपर संशय जैसे "क्या मैं उतना अच्छा हूँ? क्या मैं इतना कर सकता हूँ? मुझे नहीं लगता मैं ये कर सकता हूँ। इसी प्रकार किसी ध्यान शिविर में और सभी को अच्छे से ध्यान करता देख कर भी यह सोच सकते हो की मैं ही परेशान हूँ, मेरा ही ध्यान नहीं लग रहा है, बाकी सब ध्यान कर पा रहे हैं। मुझे लगता है की मैं तो कभी भी ध्यान नहीं कर पाउँगा।
योग के मार्ग पर इस प्रकार के संशय उठ सकते है।
ध्यान प्रक्रिया पर संशय: "क्या यह ध्यान प्रक्रिया ठीक भी है? इससे कोई फायदा होगा मुझे? हो सकता है मेरे लिए कोई और प्रक्रिया ठीक हो।" ऐसे सभी संशय भी मन को परेशान कर सकते हैं।
गुरु पर संशय: गुरु पर भी कई तरह के संशय उठ सकता है जैसे कि "ये गुरूजी स्वयं क्या करते है? इन्हें मुझसे क्या चाहिए होगा?" ऐसे सभी संशय भी हो सकते हैं
इस तरह के तीन संशय पथ पर प्रगति में बाधक बन सकते है।
तुम्हें संशय को अच्छे से समझना होगा। संशय हमेशा अच्छे पर, सकारात्मक पर ही होता है। तुम्हें कभी भी नकारात्मक पर संशय नहीं होता है। तुम्हें अवसाद पर संशय नहीं होता, तुम्हें अपनी प्रसन्नता पर संशय होता है।
संशय तीसरी बाधा है।
4. प्रमाद
यह जानते हुए भी की कुछ बहुत गलत है, फिर भी वही करना प्रमाद है। तुम्हें पता हो कि यह तुम्हारे लिए अच्छा नहीं है फिर भी तुम वही करते रहते हो, इसे प्रमाद कहते है। इसी तरह तुम्हे अच्छे से पता हो की तुम्हे कुछ करना है और तुम फिर भी वह न करो।
यह जानते हुए की कुछ जरूरी है, फिर भी वह ना करना प्रमाद है। तुम्हे अच्छे से पता है की तुम्हे टैक्स देना है पर फिर भी तुम कर न चुकाओ, यही प्रमाद है। तुम्हें जानकारी है कि यदि तुम कुछ काम नहीं करोगे तो संकट में पड़ जाओगे फिर भी वह काम नहीं करना प्रमाद है। जैसे यदि तुम बीमार हो और तुम्हे मीठा खाने का मना हो, फिर भी तुम मीठा खाओ, वह प्रमाद है। इस तरह से लापरवाही बरतना और सजगता न बनाये रखना भी एक बाधा है।
5. आलस्य
आलस्य अर्थात शरीर की जड़ता। ऐसा भी हो सकता है की आप बहुत कुछ करते हो पर जब योग, आसन और प्राणायाम करने के समय पर मन नही करता, इस तरह का आलस्य जीवन के किसी भी क्षेत्र में हो सकता है।
प्रमाद में तुम जानबूझकर कुछ नहीं करते हो पर आलस्य में शरीर की जड़ता तुम्हें कुछ नहीं करने देती है।
6. अविरति
किसी भी इंद्रिय विषय-वस्तु में फंसे रहना और उससे बाहर न निकलना अविरति है। जैसे तुम्हें भूख लगी हो तब तुम भोजन करो परन्तु पूरे दिन यदि भोजन के बारे में ही सोचते रहो तब यह अविरति है।
ऐसे ही तुम्हें कुछ सुन्दर प्राकृतिक दृश्य देखने का मन हो तो, देखो और खत्म करो। हमेशा कुछ देखने के बारे में ही सोचते रहना निरर्थक है।
हमारी इन्द्रियों का जो क्रिया कलाप है वह कुछ सीमित समय के लिए होना चाहिए और फिर वह समाप्त हो जाना चाहिए। परन्तु ऐसे किसी भी इन्द्रिय क्रिया कलाप को लगातार करते रहना या चौबीस घंटे उसी के बारे में सोचते रहना अविरति है।
तुम भोजन करो पर उसके बाद भोजन के बारे में सोचने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे ही तुम सम्भोग भी करो तो उसे पूरे दिन मन में लेकर घूमने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे किसी भी इंद्रिय क्रिया कलाप से अपने आपको अलग न कर पाना अविरति है।
लोग दिन रात अश्लील सिनेमा देखते हैं, शरीर चाहे वीर्यहीन हो परन्तु मन उसी कामभावना से ग्रस्त रहता है , इसी के बारे में सोचते रहते हैं, यही अविरति है। यह एक बड़ी बाधा है, किसी भी इंद्रिय सुख को पूर्ण रूप से न भोग पाना और उससे ग्रस्त रहना, उससे मुक्त न हो पाना अविरति है।
अविरति तुम्हें केंद्रित नहीं होने देती, मन को इधर उधर खींचती रहती है।
इसके उपरान्त आते हैं, भ्रान्ति दर्शन, अलब्धभूमिकत्वा, अनावस्थितत्व, जिनके बारे में हम अगले ज्ञान पत्र में पढ़ेंगे।
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(यह ज्ञान पत्र गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी के पतंजलि योग सूत्र प्रवचन पर आधारित है। पतंजलि योग सूत्रों केपरिचय के बारे में अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें। )
 
























































 
                          
                       
                          
                       
                          
                       
                          
                       
                          
                       
                      
                    